भगवान शंकर के स्वरूप से रूद्राक्ष जुड़ा हुआ है। भगवान शंकर के उपासक इन्हें माला के रूप में पहनते हैं। रुद्राक्ष के 14 प्रकार शिवमहापुराण के विद्येश्वरसंहिता में बताए गए हैं। सभी का अलग-अलग महत्व है, जो इस प्रकार हैं-
एक मुख वाला रुद्राक्ष साक्षात शिव का स्वरूप है। वह भोग और मोक्ष प्रदान करता है। जहां इस रूद्राक्ष की पूजा होता है वहां से लक्ष्मी दूर नहीं जाती।
दो मुख वाला रुद्राक्ष देवदेवेश्वर कहा गया है। यह संपूर्ण कामनाओं और मनोवांछित फल देने वाला है।
तीन मुख वाला रुद्राक्ष सदा साक्षात साधन का फल देने वाला है उसके प्रभाव से सारी विद्याएं प्रतिष्ठित होती हैं।
चार मुख वाला रुद्राक्ष ब्रह्मा का स्वरूप है। उसके दर्शन तथा स्पर्श से धर्म, अर्थ, काम व मोक्ष की प्राप्ति होती है।
पांच मुख वाला रुद्राक्ष कालाग्निरुद्ररूप है। वह सब कुछ करने में समर्थ है। सबको मुक्ति देने वाला तथा संपूर्ण मनोवांछित फल प्रदान करने वाला है।
छ: मुख वाला रुद्राक्ष कार्तिकेय का स्वरूप है। इसे धारण करने वाला ब्रह्महत्या के पाप से मुक्त हो जाता है।
सात मुख वाला रुद्राक्ष अनंगस्वरूप और अनंग नाम से प्रसिद्ध है। इसे धारण करने वाला दरिद्र भी राजा बन जाता है।
आठ मुख वाला रुद्राक्ष अष्टमूर्ति भैरवस्वरूप है। इसे धारण करने वाला मनुष्य पूर्णायु होता है।
नौ मुख वाले रुद्राक्ष को भैरव तथा कपिल-मुनि का प्रतीक माना गया है।
दस मुख वाला रुद्राक्ष भगवान विष्णु का रूप है। इसे धारण करने वाले मनुष्य की संपूर्ण कामनाएं पूर्ण हो जाती हैं।
ग्यारह मुखवाला रुद्राक्ष रुद्ररूप है इसे धारण करने वाला सर्वत्र विजयी होता है।
बारह मुखवाले रुद्राक्ष को धारण करने पर मानो मस्तक पर बारहों आदित्य विराजमान हो जाते हैं।
तेरह मुख वाला रुद्राक्ष विश्वदेवों का रूप है। इसे धारण कर मनुष्य सौभाग्य और मंगल लाभ करता है।
चौदह मुख वाला रुद्राक्ष परम शिवरूप है। इसे धारण करने पर समस्त पापों का नाश हो जाता है।
एक मुख वाला रुद्राक्ष साक्षात शिव का स्वरूप है। वह भोग और मोक्ष प्रदान करता है। जहां इस रूद्राक्ष की पूजा होता है वहां से लक्ष्मी दूर नहीं जाती।
दो मुख वाला रुद्राक्ष देवदेवेश्वर कहा गया है। यह संपूर्ण कामनाओं और मनोवांछित फल देने वाला है।
तीन मुख वाला रुद्राक्ष सदा साक्षात साधन का फल देने वाला है उसके प्रभाव से सारी विद्याएं प्रतिष्ठित होती हैं।
चार मुख वाला रुद्राक्ष ब्रह्मा का स्वरूप है। उसके दर्शन तथा स्पर्श से धर्म, अर्थ, काम व मोक्ष की प्राप्ति होती है।
पांच मुख वाला रुद्राक्ष कालाग्निरुद्ररूप है। वह सब कुछ करने में समर्थ है। सबको मुक्ति देने वाला तथा संपूर्ण मनोवांछित फल प्रदान करने वाला है।
छ: मुख वाला रुद्राक्ष कार्तिकेय का स्वरूप है। इसे धारण करने वाला ब्रह्महत्या के पाप से मुक्त हो जाता है।
सात मुख वाला रुद्राक्ष अनंगस्वरूप और अनंग नाम से प्रसिद्ध है। इसे धारण करने वाला दरिद्र भी राजा बन जाता है।
आठ मुख वाला रुद्राक्ष अष्टमूर्ति भैरवस्वरूप है। इसे धारण करने वाला मनुष्य पूर्णायु होता है।
नौ मुख वाले रुद्राक्ष को भैरव तथा कपिल-मुनि का प्रतीक माना गया है।
दस मुख वाला रुद्राक्ष भगवान विष्णु का रूप है। इसे धारण करने वाले मनुष्य की संपूर्ण कामनाएं पूर्ण हो जाती हैं।
ग्यारह मुखवाला रुद्राक्ष रुद्ररूप है इसे धारण करने वाला सर्वत्र विजयी होता है।
बारह मुखवाले रुद्राक्ष को धारण करने पर मानो मस्तक पर बारहों आदित्य विराजमान हो जाते हैं।
तेरह मुख वाला रुद्राक्ष विश्वदेवों का रूप है। इसे धारण कर मनुष्य सौभाग्य और मंगल लाभ करता है।
चौदह मुख वाला रुद्राक्ष परम शिवरूप है। इसे धारण करने पर समस्त पापों का नाश हो जाता है।
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